संत लाल साईं जी के सानिध्य में भक्त कंवर राम नगर द्वार का हुआ लोकार्पण

# Admin | 13 Apr, 2023

अमर शहीद संत भक्त कंवर राम जी के 138 वे अवतरण"दिवस के अवसर पर भक्त कंवर राम नगर द्वार एवं संत श्री कंवर राम जी की मूर्ति का लोकार्पण संत लाल साई जी के सानिध्य में संपन्न हुआ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर के संत लाल साई जी अध्यक्षता श्री रामशरण यादव जी महापौर बिलासपुर विशिष्ट अतिथि थे बिलासपुर क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद अरुण साव जी बिलासपुर नगर के मिलनसार हंसमुख व्यक्तित्व के धनी विधायक श्री शैलेंद्र पांडे जी अध्यक्ष पर्यटन मंडल छत्तीसगढ़ शासन के श्री अटल श्रीवास्तव जी श्री शेख नसरुद्दीन जी सभापति नगर निगम बिलासपुर एल्डरमैन श्याम लाल चंदानी जी नगर निगम बिलासपुर पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत बिलासपुर के अध्यक्ष श्री पीएन बजाज जी पूज्य सिंधी पंचायत सिंधी कॉलोनी के अध्यक्ष श्री हरीश भागवानी जी वार्ड क्रमांक 19 के पार्षद श्री भरत कशयप जी वार्ड क्रमांक 20 के पार्षद श्री विजय यादव जी अध्यक्ष संत कंवर राम सेवा समिति बिलासपुर के श्री रमेश महेर चंदानी जी कार्यक्रम की शुरुआत हमारे इष्ट देव भगवान झूलेलाल व संत भक्तकंवर राम जी के फोटो पर माला अर्पण कर दीप प्रज्वलित करके की गई आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत फूलों की माला पहना कर किया गया मंच संचालन राम लालचंदानी के द्वारा किया गया आए हुए सभी अतिथियों ने आज के इस पवित्र दिन और सुंदर गेट निर्माण की सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं दि खासकर सिंधी समाज को उनकी मेहनत आज रंग लाई एक सुंदर गेट का निर्माण हुआ और जिसके नाम से गेट है उन्हीं का आज अवतरण दिवस है इससे ज्यादा बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है सभी सदस्यों ने कहा कि सिंधी समाज मिलनसार हंसमुख है समाज के लोग देश के कोने कोने में बसा हुआ है आजादी के बाद हुए बंटवारे में इतने दुख तकलीफ सहने के बाद भी सब कुछ छोड़ने के बाद भी आज अपनी मेहनत लगन के बल पर खड़ा है हमें भी सीखने को मिलता है बहुत ही खुशी का विषय है कि ऐसे समाज के लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं वह हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं इस अवसर पर परम पूजनीय संत लाल साई जी ने अपनी अमृतवाणी में नगर निगम बिलासपुर का धन्यवाद किया और कहा कि संत के नाम से बना गेट क्षतिग्रस्त हो गया था टूट गया था उसको फिर से इतना सुंदर उसका नवनिर्माण करके दिया समाज की मांग थी और ऐसे दरवेश संत थे हमारे भक्त कंवर राम जो दिन दुखियों की सेवा करते थे उन्होंने अपना बचपन गरीबी में गुजारा कोहर बेचकर गुजारा करते थे एक दिन उनकी आवाज सुनकर साईं सतराम दास जी ने उन्हें अपने पास बुला कर आशीर्वाद दिया ओर अपना शिक्षय बनाया अपनी भक्ति से कई शक्तियां प्राप्त की पर कभी भी उस शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया प्रदर्शन नहीं किया बड़े सरल स्वभाव के थे वैसे तो कई सारे घटनाएं हैं वह चमककार हैं उनके द्वारा किया गया है कई घटना घटी हैं पर उनमें से दो एक घटना और चमत्कार आपको बता राह हूं जिसमें एक बार जब वह भगत कर रहे थे तो एक माता ने अपना मृत्य बच्चा उनके झोली में डाल दिया और कहा कि उसे लौली दीजिए जब संत जी ने देखा कि यह बालक तो मृत है तब उन्होंने अपने गुरु सतराम दास जी को याद किया और भजन गाने लगे नाले अलख जे बेड़ो तार मोहनजो जब यह भजन समाप्त हुआ तब वह मृत बालक जीवित उठा और रोने लगा यह चमत्कार देखकर लोग संत की जय जयकार करने लगे और दूसरी घटना थी 1 नवंबर 1939 का दिन था ट्रेन के माध्यम से कहीं जा रहे थे तब कुछ लोग उनके पास पहुंचे वह आशीर्वाद लिया और कहा कि आज हम जो कार्य करने आए वह कार्य पूरा हो आशीर्वाद दीजिए संत जी समझ गए थे कि यह लोग मुझे ही मारने आए हैं उसके बाद भी उन्होंने उन लोगों को आशीर्वाद दिया कि जाओ तुम्हारा कार्य सफल होगा और उन आदमियों ने उन पापियों ने सिंध की आत्मा हमारे सच्चे संत भक्त कंवर राम जी को गोली मारकर उनकी निर्मम हत्या कर दी हमारे संत सर्व धर्म के प्रतीक थे सिंधी समाज को शरणार्थी कहा जाता है वह शरणार्थी नहीं है वह पुरुषार्थी है बंटवारे के बाद हम एक घर छोड़कर दूसरे घर में आए थे तो हम शरणार्थी कैसे हुए बंटवारे का दुख दर्द तकलीफ अगर सबसे ज्यादा पीड़ा सही है तो सिंधी समाज ने सही है जब वह बंटवारे के बाद भारत आए तो उस समय अगस्त का महीना चल रहा था बहुत बारिश ज्यादा हुई थी ना रहने को घर था न सर ढकने को छत थी न खाने को रोटी थी ऐसी अवस्था में हमारे पूर्वज अपने बच्चों को लेकर भारत पहुंचे थे और उस उस दर्द को उस तकलीफ को सहन किया लेकिन किसी को आगे हाथ नहीं फेलाया बल्कि अपनी मेहनत से लगन से दिन रात काम करके आज पुरुषार्थी समाज में गिनती होती है वैसे आज सिंधी समाज व्यापार जगत में अपनी एक अलग पहचान बना कर रखा है हजारों लोगों को रोजगार देता है अर्थव्यवस्था में भी सिंधी समाज का योगदान सबसे ज्यादा है करोना काल में भी सिंधी समाज ने बढ़ चढ़कर लोगों की सेवा की दीन दुखियों की सेवा की सेवा भावना हमारे खून में है हम जिस देवता का अंश हैं वह जल के देवता के जल शीतल रहता है शांत रहता है और सभी के लिए होता है उसी तरह सिंधी समाज भी शांत व शीतल है व सभी के साथ घुल मिलकर रहता है व सेवा कार्य काम करता है किसी भी समाज की पहचान उसके इष्ट देव उनकी बोली उसकी भाषा और संस्कृति उसके तीज त्यौहार होते हैं उसकी ताकत भी वही होते हैं कार्यक्रम के अंत में समिति के द्वारा आए हुए सभी अतिथियों को शाल पहनाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया इस आयोजन में बड़ी संख्या में समाज के लोग व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे जिनमें प्रमुख हैं धनराज आहूजा रूपचंद डोडवानी अर्जुन भोजवानी, रमेश लालवानी, परमानंद गिडवानी, सुरेश सिदारा , खुशाल वाधवानी, हुंदराज जेसवानी,महेश पमनानी, जगदीश जज्ञासी, आनंद देशर , अमर रुपानी बृजलाल नागदेव, प्रीतम दास नागदेव नंदलाल बजाज श्रीचंद दयालानी, गोपाल सिधवानी,हरिकिशन गंगवानी विजय दुसेजा अभिषेक विधानी विनोद लालचंदानी महेश पमनानी नानक खटुजा प्रताप आयेलानी महेश दुलाहनी हुदंराज मोटवानी नानकराम पंजवानी प्रकाश जाग्यासी दिलीप जगवानी रमेश टेकचंदानी रवि रूप उसवानी अनिल पंजवानी नवीन जाधवानी दिलीप बहरानी भवदीय विजय दुसेजा

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